घर के मंदिर में भगवान की प्रतिमा कितनी बड़ी रखनी चाहिए, जानें

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भगवान की प्रतिमा
भगवान की प्रतिमा

हम लोग घर में मंदिर अवश्य बनवाते हैं। जब भी कोई नया घर बनवाता है तो घर में मंदिर अवश्य बनवाया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि घर के मंदिर में भगवान की प्रतिमा कितनी बड़ी होनी चाहिए। कई लोग घर के मंदिर में भगवान की बड़ी प्रतिमा लाकर स्थापित कर देते हैं, लेकिन धर्म शास्त्रों के अनुसार, घर के मंदिर में हमेशा छोटी प्रतिमा को ही स्थापित करनी चाहिए। घर में सुबह शाम ईश्वर के सामने दीपक जलाने से घर में शांति और सुख समृद्धि बनी रहती है।

घर के मंदिर में प्रतिमा बड़ी होने पर घर में कई प्रकार के वास्तु दोष भी उत्पन्न ना हो जाते हैं। शास्त्र सम्मत पूजा और प्रतिमा की स्थापना नहीं होने से हमें पूजा का पूर्ण और उचित फल नहीं मिल पाता है। यदि प्रतिमा अंदर से खोखली हो तो घर में नकारात्मक एनर्जी का वास होने की संभावना रहती है। इसलिए घर के मंदिर में प्रतिमा बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

भगवान की प्रतिमा कितनी बड़ी होनी चाहिए

मंदिर में भगवान की प्रतिमा मंदिर के अनुसार बनवाया जाता है। लेकिन यदि आप अपने घर के मंदिर में ईश्वर की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, प्रतिमा स्थापित करने के समय वास्तु का सही ध्यान नहीं रखने से घर में कितनी भी पूजा पाठ कर लें, उसका उचित फल प्राप्त नहीं होता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में भगवान की प्रतिमा इस तरह से रखनी चाहिए ताकि उनकी पीठ दिखाई ना दे। भगवान की पीठ दिखाई देना गंभीर वास्तु दोष का कारण होता है। यदि पीठ को छुपाना संभव ना हो तो उस पर कपड़ा डाल दें या फिर प्रतिमा को दीवार से लगा कर रखें।

घर के पूजा घर में ईश्वर की दो प्रतिमान नहीं रखनी चाहिए। यह घर में वास्तु दोष को जन्म देता है। इससे घर में सकारात्मक एनर्जी का वास नहीं हो पाता है। इसके साथ साथ घर के मंदिर में दो प्रतिमा को आमने सामने भी नहीं रखनी चाहिए।

अपने घर के मंदिर में अपने पूर्वजों के साथ भगवान की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। घर के पितृ देवता के लिए अलग से स्थान रखें। ऐसा करने से घर में हमेशा सुख शांति बनी रहेगी।

पूजा घर में कभी भी खंडित प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए। खंडित प्रतिमा रखने से पूजा का पूर्ण फल हमें प्राप्त नहीं होता है और घर पर तथा घर के सदस्यों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।

मंदिर में प्रतिमा की ऊंचाई 3 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। मान्यता है कि घर के मंदिर में भगवान की प्रतिमा की ऊंचाई 6 अंगुल ही होनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, अंगूठे के पोर के बराबर की प्रतिमा सर्वश्रेष्ठ होती है।

आपके घर में भले ही भगवान की एक से अधिक प्रतिमा हो लेकिन पूजा हमेशा एक ही प्रतिमा की करनी चाहिए। दो प्रतिमा की पूजा करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इससे घर के सदस्यों में वाद विवाद होने की भी संभावना रहती है।