घर में मंदिर की स्थापना किस दिन करनी चाहिए? जानें

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मंदिर स्थापना का दिन
मंदिर स्थापना का दिन

घर में मंदिर की स्थापना किस दिन करनी चाहिए? घर में मंदिर की स्थापना का दिन भी महत्वपूर्ण होता है। आजकल शहरों में घर में ही मंदिर की स्थापना कर ली जाती है। ऐसा माना जाता है कि घर कि मंदिर में रोज पूजा-पाठ करने से घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। पूजा करते समय यदि हमसे कोई त्रुटी हो जाती है तो हमें पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है।

मंदिर स्थापना के वक्त कुछ सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, घर में मंदिर तभी स्थापित करनी चाहिए जब ग्रह अनुकूल हो। घर में मंदिर शुभ मुहूर्त में ही स्थापित करनी चाहिए। शुभ मुहूर्त में सभी ग्रह और नक्षत्र शुभ फल देने वाले होते हैं। आइए जानते हैं कि घर के मंदिर में हमें देवी देवताओं की स्थापना किस दिन करना चाहिए?

घर में मंदिर का स्थापना किस दिन करें?

घर में मंदिर की स्थापना चैत्र, फाल्गुन, वैशाख, माघ, और ज्येष्ठ महीने में करनी चाहिए। यदि मंदिर की स्थापना शुक्ल पक्ष में किया जाए तो यह मंदिर स्थापना के लिए बहुत ही शुभ होता है। यदि दिन की बात करें तो सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को मंदिर की स्थापना करनी चाहिए। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि मंगलवार को मूर्ति स्थापना बिल्कुल भी ना करें।

हिंदू परम्पराओं में किसी भी शुभकार्य के लिए तारीख और विशेष दिन के बजाय तिथियां और लग्न तथा नक्षत्रों का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं कि घर में मंदिर स्थापना के लिए शुभ नक्षत्र कौन से होते हैं। पढ़ें- मंदिर की दिशा : वास्तु के अनुसार घर में मंदिर इस दिशा में होता है शुभ

घर में मंदिर की स्थापना दिन के अनुसार तो हमने देख लिया। अब जानते हैं कि मंदिर स्थापना के लिए शुभ नक्षत्र कौन सा होता है? नक्षत्रों की बात करें तो पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, उत्तरा आषाढ़, रेवती, रोहिणी, अश्विनी, श्रवण और पुनर्वसु नक्षत्र मंदिर स्थापना के लिए शुभ होता है। यदि इस नक्षत्र में मंदिर की स्थापना घर में की जाए तो वह बहुत ही शुभ फल देने वाली होती है। लग्न की बात करें तो घर में मंदिर स्थापना वृषभ, मिथुन, कन्या, धनु और मीन लग्न में करना चाहिए।

घर में मंदिर किस दिशा में होनी चाहिए?

दिन और लग्न के बाद मंदिर स्थापना के लिए मंदिर की दिशा भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। यदि आपके घर में मंदिर की स्थापना सही दिशा में नहीं की गई है तो आपको उसका विपरीत फल मिल सकता है। दिशा की बात करें तो घर का मध्य भाग सबसे उत्तम होता है। इसे घर का केंद्र बिंदु या ब्रह्मस्थान भी कहा जाता है। लेकिन यदि आपके घर में ब्रह्मस्थान या घर का केंद्र बिन्दु में मंदिर स्थापना के लिए जगह नहीं है तो आप घर के उत्तर-पूर्व कोने यानी ईशान कोण में मंदिर की स्थापना कर सकते हैं। इसके साथ-साथ यह भी ध्यान रखें कि पूजा करे तो आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो।